मेरठ-17, जुलाई, 2020, सेवार्थ इण्डिया के चेयरमैन डी0सी0 वर्क ने श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी, मुख्य सचिव, उ0प्र0 शसन, श्री विजय किरन आनन्द, महानिदेशक-स्कूली शिक्षा एंव विशेष सचिव, उ0प्र0 शासन, सचिव-उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद् तथा डा0 लोकेश कुमार प्रजापति, वाइस-चेयरमैन- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग,भारत सरकार (जिन्होने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, भारत सरकार के वाइस-चेयरमैन के महत्वपूर्ण संवैधानिक पद पर आसीन होते ही उल्लेखनीय ढंग से अन्य पिछड़ा वर्ग/आरक्षित वर्ग के हितों को सुरक्षित और संरक्षित करने के न्यायोचित/कल्याणकारी प्रयास किये हैं ) को जनहित तथा न्यायहित मे पत्र लिखकर, उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा वर्श 2018 मे की गयी अध्यापक भर्ती मे अन्य पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति एंव जनजाति/आरक्षित वर्ग के हजारों मैरिटोरियस अभ्यर्थियों के साथ किये गये भेदभाव और अन्याय को समाप्त कराके,उन्हे न्याय दिलाने की मांग की है।
श्री वर्क ने अपने पत्र मे बताया है कि उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा सहायक अध्यापक भर्ती 68500 में जारी अपने ही दिषा निर्देशो का घोर उल्लंघन करके, मनमाने ढ़ंग से किये गये जिला आवंटन मे अन्य पिछड़ा वर्ग/अनुसूचित जाति एंव जनजाति/आरक्षित वर्ग के हजारों मैरिटोरियस अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव और अन्याय करते हुए, उन्हे एकदम नियम विरूद्व ढंग से सुदूर स्थित जनपद आवंटित कर दिये गए थे। जिसके विरूद्व न्याय प्राप्त करने के लिये पीड़ित मैरिटोरियस अभ्यर्थियों ने मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद मे रिट-ए सं0-19737/2018 योजित की थी। जिसमें सुनवाई के बाद मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने रिट-ए सं0-19737/2018 में दिनांक- 29.08.2019 एवं 13.05.2020 में जारी आदेशों से परिषद् द्वारा मनमाने ढ़ंग से किये गये जिला आवंटन को निरस्त करते हुए, आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस अभ्यर्थियों का नए शैक्षिक सत्र से पूर्व, पुनः जनपद आवंटन कराने का स्पष्ट आदेश दिया था, जिसका अनुपालन दिनांक-29.02.2020 तक सचिव- उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा कराया जाना कानूनन आवष्यक था।
चेयरमैन, सेवार्थ इण्डिया ने अपने पत्र मे आगे बताया कि अत्यंत खेद के साथ अवगत कराना पड़ रहा है कि उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद् द्वारा मनमाने ढ़ंग से और जानबूझकर, अद्यतन भी उक्त आदेशों का अनुपालन न कराये जाने से मा0 उच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेशों की घोर अवमानना होने तथा आरक्षित वर्ग के हजारों मैरिटोरियस अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव और अन्याय होने की स्थिति में आरक्षित वर्ग के कई पीड़ित याचियों के द्वारा उपरोक्त आदेशों का अनुपालन कराने और न्याय प्राप्त करने के लिए मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में अवमानना याचिका (सिविल) सं0- 2098/2020, 2162/2020 एंव 2202/2020 योजित की गयी हैं, जिनमें क्रमश दिनांक- 24.06.2020, 07.07.2020 एंव 13.07.2020 को जारी महत्वपूर्ण निर्णयों में मा0 उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि:-
“Prime facia a case of contempt has been made out. However, considering the facts and circumstances of the case, one more opportunity is afforded to the opposite party to comply with the aforesaid order of the writ Court within six weeks from the date of production of a copy of this order.”
“The respondent/opposite party is directed to comply with the order dated 29.08.2019 passed by this Court rendered in Writ-A No.19737 of 2018 (Shikha Singh and others Vs. State of U.P. and others) along with connected matters within a period of three months from the date of a copy of this order along with a fresh copy of the order dated 29.08.2019. ”
“Issue notice to the opposite party, returnable in four weeks, to show cause as to why the contempt proceeding be not initiated against him. ”
श्री वर्क ने जनहित तथा न्यायहित में समस्त उच्चाधिकारियों से आशापूर्ण निवेदन किया है कि मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के रिट-ए सं0-19737/2018 में दिनांक-29.08.2019 एवं 13.05.2020 में जारी आदेशों के क्रम में, अवमानना याचिका (सिविल) सं0- 2098/2020, 2162/2020 एंव 2202/2020 में क्रमश दिनांक- 24.06.2020, 07.07.2020 एंव 13.07.2020 को जारी आदेशों के अनुपालन में अन्य पिछड़ा वर्ग/ अनुसूचित जाति एंव जनजाति/ आरक्षित वर्ग के पीड़ित याचियों के गुणांक के आधार पर, उनके आवेदनों में दी गई वरीयता के क्रम में प्राथमिकता के आधार पर न्यायोचित तरीके से, पुनः जनपद आवंटित कराने हेतु , मा0 उच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेशों के अनुपालन हेतु समुचित आदेश जारी करते हुए, घोर-उपेक्षा, भेदभाव, अन्याय और मानसिक उत्पीड़न से ग्रस्त आरक्षित वर्ग के पीड़ित याचियों को न्याय प्रदान कर अनुगृहीत करें।